Shodashi - An Overview

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The murti, which is also found by devotees as ‘Maa Kali’ presides about the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  Right here, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

Shodashi’s mantra enhances devotion and faith, serving to devotees set up a further connection towards the divine. This advantage instills have confidence in during the divine process, guiding men and women by problems with grace, resilience, and a way of purpose of their spiritual journey.

संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरामदने सर्वशुभं साधय स्वाहा॥

Consequently many of the gods requested Kamadeva, the god of love to generate Shiva and Parvati get married to one another.

She is definitely the possessor of all wonderful and fantastic things, together with physical goods, for she teaches us to possess devoid of getting possessed. It is said that dazzling jewels lie at her toes which fell from your crowns of Brahma and Vishnu if they bow in reverence to her.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब Shodashi इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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