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The Mahavidyas really are a profound expression of your divine feminine, Every single symbolizing a cosmic perform and a path to spiritual enlightenment.
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।
साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
The Shodashi Mantra instills persistence and resilience, aiding devotees stay continuous by difficulties. This gain permits folks to approach road blocks with calmness and dedication, fostering an interior power that supports own and spiritual expansion.
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra makes a here spiritual protect around devotees, guarding them from negativity and damaging influences. This mantra acts as being a source of protection, serving to persons preserve a constructive setting totally free from psychological and spiritual disturbances.
Her story incorporates legendary battles towards evil forces, emphasizing the triumph of fine over evil as well as spiritual journey from ignorance to enlightenment.
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥
वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥